सावित्रीबाई फुले का वो पहला बालिका स्कूल,
महिला अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली सावित्री बाई फुले की आज जयंती है. उनका जन्म 03 जनवरी 1830 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था. सावित्री बाई फुले भारत के सबसे पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापिका थी.
बेहद खराब हालत में देश का पहला बालिका विद्यालय
महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश के पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी. लेकिन अब इस ऐतिहसिक धरोहर की हालत बेहद दयनीय है. पुराने पुणे के भिड़ेवाड़ा में महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने 175 साल पहले महिला स्कूल शुरू किया था, लेकिन बरसों से ये स्कूल बंद है, इस स्कूल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग भी उठी.पर अब इसकी हालत देख लगता है कि किसी भी समय ये इमारत गिर जाएगी.
बात करे आजादी के पहले जब गिनी चुनी महिलाए ही पढा़ई कर पाती थी, उस जमाने में गरीब महिलाओं को पढ़ाकर सशक्त बनाने के मक़सद से ही स्कूल स्थापित किया गया था.
सावित्री बाई फुले के बारे में
सावित्री बाई फुले देश की पहली महिला शिक्षक और समाज सेविका थीं. वह महज 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले के साथ कर दिया गया था.जब सावित्री बाई फुले की शादी हुई उस समय वह अनपढ़ थीं और उनके पति तीसरी कक्षा में पढ़ते थे.यह वो दौर था जब सावित्री बाई फुले पढ़ने का सपना देख रहीं थी उस समय दलितो के साथ बहुत भेदभाव होता था. समाज की गालियां सही, लोगों नें गोबर फेंके।लेकिन इसके बाद भी पढ़ना नहीं छोड़ी।और लड़कियों के लिए 18 स्कूल भी खोलीं।
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