महावीर जयंती 2023
महावीर जयंती का उत्सव भगवान महावीर के जन्म और उनके जीवन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है,महावीर जयंती हिन्दूओं के साथ साथ जैन धर्म के अनुयायिओं द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव है। यह दिन महावीर स्वामी जी को समर्पित है। इनके माता पिता पारसव अनुसरण करते थे। काहा जाता है की उनकी बचपन में एक भयानक जहरीले सांप पर बिना डरते हुए काबू नियंत्रण कर लिए थे.तभी उनको महावीर के नाम से बुलाये जाने लगा।
जैन समुदाय के लोग इस दिन प्रार्थना करते हैं और मंदिरों को सजाकर इस दिन को पुरे उत्साह के साथ मनाते हैं।
भगवान महावीर ( Mahavir Jayanti Kya Hai )
भगवान महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व में ' वज्जि साम्राज्य 'में कुंडग्राम के राजा सिद्धार्थ और लिच्छवी राजकुमारी त्रिशला के यहाँ हुआ था। वज्जि संघ आधुनिक बिहार में वैशाली क्षेत्र के अंतर्गत आता है। भगवान महावीर 'इक्ष्वाकु वंश ' से सम्बंधित थे। अपने जीवन काल के दौरान भगवान महावीर को वर्धमान के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ होता है 'जो बढ़ता है'। उन्होंने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन को त्याग दिया 42 की आयु में उन्हें 'सर्वज्ञान' की प्राप्ति हुई। भगवान महावीर ने अपने शिष्यों को अहिंसा ,सत्य ,अस्तेय ,ब्रम्हचर्य और अनासक्ति का पालन करने की शिक्षा दी और उनकी शिक्षाओं को 'जैन आगमन' काहा गया। भगवान महावीर को बिहार में आधुनिक राजगीर के पास पावापुरी नामक स्थान पर 468 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त हुआ।
जैन धर्म
जैन धर्म की उत्पत्ति 'जिन ' सब्द से हुई है ,जिसका अर्थ है 'विजेता'।
जैन धर्म में अहिंसा को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।
ये पांच महान प्रतिज्ञाओं का प्रचार करता है अहिंसा ,सत्य,चोरी न करना ,अनासक्ति और ब्रम्हचर्य यानि शुद्धता। इन पांचो शिक्षाओं में ब्रम्हचर्य को महावीर द्वारा जोड़ा गया था। जैन धर्म में तीन रत्नो का त्रिरत्न में शामिल है सम्यक दर्शन ,सम्यक ज्ञान ,सम्यक चरित्र।
जैन धर्म अपनी सहायता स्वयं ही करने पर बल देता है ,इसके अनुसार कोई देवी देवता या आध्यात्मिक प्राणी नहीं हैं ,जो मनुष्य की सहायता करेंगे।यह वर्ण व्यवस्था का निंदा नहीं करता है।
जैन शिक्षाओं के अनुसार , जन्म और पुनर्जन्म का चक्र उनके कर्मो से निर्धारित होता है।
'संथारा ' जैन धर्म का एक अभिन्न अंग है। यह आमरण अनसन की एक अनुष्ठान विधि है। श्वेताम्बर जैन इसे 'संथारा ' कहते हैं ,जबकि दिगंबर इसे 'सल्लेखना ' कहते हैं।
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